राहुल कोलसे :सत्ताधारी चाहते हैं कि किसानों के बच्चे खेती करें और राजनीति में न आएं और यदि वे राजनीति में भी आए तो सफल नहीं होना चाहिए. कुछ लोग सोचते हैं कि किसानों को मरते दम तक सिर्फ मेहनत और खेती करनी चाहिए,
लेकिन इस वाक्य को एक 27 वर्षीय किसान के बच्चे गलत साबित कर दिया. अहमदनगर जिले के पाथर्डी तहसील के निवडुंगे के एक किसान के बेटे शरद मरकड तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव उनके निजी सहायक बना हैं.शरद मरकड
का जन्म बेहद गरीब परिवार में हुआ.उनकी जीवन एक कठिन और गरीब परिवार से शुरू हुआ.सोलह वर्ष की उम्र से ही उन्हें किसान आंदोलन में काम करने और किसानों की समस्याओं को हल करने में रुचि थी.जहां एक ओर किसानों की दुर्दशा थी और खुद की शिक्षा
चल रही थी, वहीं उन्होंने भी किसानों के लिए काम करने का फैसला किया और किसान संगठन के साथ काम करना शुरू कर दिया.2018 में महाराष्ट्र में सूखा पड़ा था. उस सूखे के दौरान, शरद मरकड ने पाथर्डी तहसील के निवडुंगे में एक गैर-सहायता
प्राप्त चारा शिविर शुरू करके किसानों के पशुओं को बचाया.इस चारा शिविर ने महाराष्ट्र के कई राजनेताओं का ध्यान आकर्षित किया. उस चारा शिविर में कई राजनेता आए थे. किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर दिल्ली में बड़े पैमाने पर किसान आंदोलन शुरू हुआ
उस आंदोलन में शरद मरकड ने किसानों को संगठित किया और दिल्ली में आंदोलन में हिस्सा लिया.किसान ही मेरी पार्टी है यह नीति तय कर शरद मरकड हमेशा किसानों की मदद के लिए कृतसंकल्प हैं. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने खुद शरद
मरकड के किसानों के प्रति जुनून और कड़ी मेहनत करने की इच्छा पर ध्यान दिया और उनसे बात करने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के निजी सहायक के रूप में नियुक्त किया और शरद मरकड ने भारत राष्ट्र समिति में काम करने का फैसला किया.
उन्हें महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष माणिकदादा कदम, दशरथ सावंत, नाना बच्छाव, सोमनाथ थोरात, बालासाहेब देशमुख का अच्छा समर्थन मिला है. अगर किसान का बेटा इतने ऊंचे पद पर आसीन होता है तो निश्चित रूप से यह गर्व की बात है, इसलिए अगर किसान के बेटे कहीं भी पीछे रहकर और बिना किसी हिचकिचाहट के काम करते हैं, तो सफलता निश्चित है.
मुख्य विशेषता
1) अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ देंगे और मुख्यमंत्री केसीआर के साथ कर रहे है
2) महाराष्ट्र में सूखे के कारण शरद मरकड ने 2018 में पशुओं के लिए महाराष्ट्र का पहला बिना सहायता न प्राप्त चारा शिविर शुरू किया.
3)किसानों का गांव से दिल्ली तक आंदोलन
4) कोरोना काल में भी नागरिकों की बड़ी मदद
5) कम्प्यूटर साइंस में स्नातक लेकिन कम उम्र से ही किसानों को न्याय दिलाने का काम करते हैं
6) जानवर के लिये देश का पहला क्वारंटाइन सेंटर तब शुरू हुआ था जब पूरे देश में गांठ रोग का प्रकोप था
7) किसानों के हर संघर्ष के लिए अधिकारियों से गुहार लगाने शरद मरकड पिछले 5 साल से लगातार साइकिल से सफर कर रहे हैं